ढलता सूरज
![Sunset over the ocean](https://www.deepakmanglablog.com/wp-content/uploads/2020/05/sunset-1200x800-1024x585.jpg)
ढलता सूरज भी जाते जाते
आसमां को अपने रंग से सराबोर कर गया
कुछ ऐसा खेला
के, नाचते बादलों को दीवाना कर गया।
उगते चांद को भी इतराने का समय ना दिया
कुछ ऐसा ढला
के, शाम को सुबह का इंतजार होने लगा।
दरिया की मौजें जब कुछ कमज़ोर होने लगीं
मैं ढलता सूरज हूं पर सुबह फिर चमकुंगा
कुछ ऐसी अलविदा कहके गया
उदास लहरों को फिर से नाचने पे मजबूर कर गया।